जिंदगी का सुकून
आनंद की तलाश में भटक रहें है हम
इस डगर से उस डगर, उस डगर से इस डगर
और बिखरें हुए पन्ने को लेकर
संजोता रहा जिंदगी भर
पर सुझा न हमें अब तलक कि
करूं कहां से शुरुआत उस डगर की
जिस डगर में है जिंदगी का सुकून।
हमारे अंधे जुनून का ही अंजाम है
हम गुमराह हो रहें है हर डगर पर
हकीकत को जरा पहचानों प्यारें
कौन करेगा इंसाफ इस जहाँ पर।
बाजार में है कई किरदार
कहानी है हम सब की लगभग एक सी
ना जाने हमें कहां मिलेगा वह डगर
जिस डगर में है जिंदगी का सुकून।
हम आनंद की तलाश में भटक रहें है
भीड़ में, वीरान में,मुश्किलों में आसान में
मंदिरों में, मस्जिदों में,जंगलों में,बाजार में
कभी खुद में भी ढूंढ लिया करें
तो भर जायेगा ये जीवन आनंद से
और खत्म हो जायेगा
डगर की तलाश का तेरा सफर।
दर्द ए दिल की दास्तान किसी से क्यां बयां करें
सभी की कहानी है लगभग एक जैसा
ना जाने हमें कहां मिलेगा वह डगर
जिस डगर में है जिंदगी का सुकून।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
24-Jun-2023 11:57 PM
👏👌
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वानी
24-Jun-2023 07:21 AM
Nice
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Alka jain
22-Jun-2023 01:33 PM
Nice 👍🏼
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